मेरे इस नये घर की बगिया धीरे-धीरे अपने अन्दर समेट रही है मेरे हर पीछे छूटे हुए घर की खुशियों और यादों को हर बार जब गमलों की मिट्टी खंगाली जाती है तो कुछ मिली जुली मिट्टी हर गमले के हिस्से में आती है कुछ मिट्टी मेरे प्रिय देहरादून की कुछ शांत स्वर पहाड़ों के …
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