कुछ हसरतें जेब में दबी रह गयीं
पाया …के कुछ हसरतें जेब में दबी रह गयीं अब समझ में आया ..ज़िंदगी क्यों अधूरी र...
13 Years Ago
एकाकी के इस जमघट में मैं इक लौ जगाये बैठा हूँ
एकाकी के इस जमघट में – मैं इक लौ जगाये बैठा हूँ...
14 Years Ago
उन नयनों में कुछ ढ़ूँढ़ा था मैंने
उन नयनों में कुछ ढ़ूँढ़ा था मैंने
खोया वही, जो कभी पाया ना मैंने...
14 Years Ago
इस बारिश में शराब बरसे
बरकत हो जिनके लबों में
एसे ही हसीन शबाब बरसें।...
14 Years Ago
आईना भी अब तकरार करता है
आईना भी अब तकरार करता है
शक्ल दिखाने से इन्कार करता है...
14 Years Ago
हर इंसान को शराब दो
हर इंसान परेशान है
हर इंसान को शराब दो...
14 Years Ago