Poetry by Vikram Saxena
Poetry by Vikram Saxena A very Loving Person vikramsaxena@hotmail.com Ph: 09711144798 / 011-23315717 http://www.facebook.com......
12 Years Ago
भारती
भारती भारती भारती, आज है तुमको पुकारती . देश के युग तरुण कहाँ हो ? नव सृष्टि के ...
13 Years Ago
नारी
सौंदर्य भरा अनंत अथाह, इस सागर की कोई न थाह . कैसे नापूँ इसकी गहनता, अंतस बहता अ...
13 Years Ago
होली
मै किससे खेलूं होली रे ! पी हैं बसे परदेश, मै किससे खेलूं होली रे ! रंग हैं चोख...
13 Years Ago
काले धन एवं नकली नोटों से छुटकारा : भ्रष्टाचार पूर्णत: खत्म
काले धन एवं नकली नोटों से छुटकारा - भ्रष्टाचार पूर्णत: खत्म प्राय: सभी देशों क...
14 Years Ago
दोहे - धरम के
शुद्ध धरम बस एक है, धारण कर ले कोय . इस जीवन में फल मिले, आगे सुखिया होय . सत्य धर...
14 Years Ago