Tikuli

Tikuli's Spinning A Yarn Of Life

My blog reflects all that is part of me and what I believe
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एक शहर ये भी - कविता 5 - महरौली

Updated 6 Years Ago

    बचपन में दिल्ली रिज पे रत्ती बटोरा करते थे कॉलेज में दोस्तों का हाथ थामे किसी टूटी मुंडेर पे बैठे क़ुतुब मीनार को ताकते या आवारगी के आलम में युहीं फिरा करते, कीकर, बबूल,बिलाङ्गड़ा, पिल…
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