वीरेंद्र शिवहरे, शायरी के लहजे में ‘वीर’ की शायरी अल्फ़ाज़ की सरहदों को पार करके अक्सर रूहानियत का लिबास पहन लेती है| हालांकि ‘वीरांश’ उनका पहला कविता संग्रह है पर उनके लफ़्ज़ों में ज़ाहिर होती ख़लिश किसी ना किसी रूप में हम सब ने महसूस की है| अपनी प्रति यहाँ से प्राप्त करें Notion Press , Amazon , FlipKart , Infibeam …
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