तराशा हुआ पत्थर हूँ, अब बस टूटना बाकी है, पुर्जे तो मेरे कर चुके हो, अब बस लूटना बाकी है| हर शक्स ईमारत ए सब्र के आखिरी छोर पर है, उम्मीद हार चुका है, अब बस कूदना बाकी है| तराशा हुआ पत्थर हूँ, अब बस टूटना बाकी है… राह में नज़र चुरा कर चले जाते …
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