Veerendra Shivhare

Veerendra Shivhare's Veerkikalamse

तुझे अपना कहूं तो किस
हक से वीर, तेरी साँसों
ने छीन ली जिंदिगी मेरी

  • Rated2.1/ 5
  • Updated 6 Years Ago

वीरांश - मेरा पहला कविता संग्रह • वीरांश | वीर की कलम से

Updated 6 Years Ago

वीरांश - मेरा पहला कविता संग्रह • वीरांश | वीर की कलम से
वीरेंद्र शिवहरे, शायरी के लहजे में ‘वीर’ की शायरी अल्फ़ाज़ की सरहदों को पार करके अक्सर रूहानियत का लिबास पहन लेती है| हालांकि ‘वीरांश’ उनका पहला कविता संग्रह है पर उनके लफ़्ज़ों में ज़ाहिर होती ख़लिश किसी ना किसी रूप में हम सब ने महसूस की है| अपनी प्रति यहाँ से प्राप्त करें Notion Press , Amazon , FlipKart , Infibeam …
Read More