एक अधूरी [ पूर्ण ] कविता
घर परिवार अब कहाँ रह गए है , अब तो बस मकान और लोग बचे रहे है बाकी रिश्ते ...
7 Years Ago
“ रे मन ”
रूह की मृगतृष्णा में सन्यासी सा महकता है मन देह की आतुरता में बिना वजह भ...
7 Years Ago
“ क्षितिज ”
मिलना मुझे तुम उस क्षितिज पर जहाँ सूरज डूब रहा हो लाल रंग में जहाँ नीली नदी...
7 Years Ago
.......कुछ लफ्ज़ तेरे नाम ............
मेरे उम्र के कुछ दिन , कभी तुम्हारे साडी में अटके तो कभी तुम्हारी चुनरी में ...
7 Years Ago
चल वहां चल ,
चल वहां चल , किसी एक लम्हे में वक़्त की उँगली को थाम कर !!!! जहाँ नीली नदी खामोश ब...
7 Years Ago
जीवन
हमें लिखना होंगा जीवन की असफलताओं के बारे में ताकि फिर उड़ सके हम इतिहास के ...
7 Years Ago