Vinay Prajapati

Vinay Prajapati's Takhleeq-e-Nazar

Origin of Poetry by Vinay Prajapati

  • Rated2.7/ 5
  • Updated 9 Years Ago

रोना था इसलिए मिला मैं तुझे - तख़लीक़-ए-नज़र

Updated 10 Years Ago

रोना था इसलिए मिला मैं तुझे - तख़लीक़-ए-नज़र
सावन बदल गया, मुआ टल गया घोर अंधेरा था, दिया जल गया बातें तेरी… भूल जाऊँ दिलाँ… टूटा-टूटा अश्क भी गल गया sawan badal gayaa, mu’aa Tal gayaa ghor andhera tha, diyaa jal gayaa baatein terii… bhool jaau’n dilaa’n… TooTaa-TooTaa ashk bhii gal gayaa रुक-रुक कर ये रास्ता चला है थम-थम कर ये फ़ासला बढ़ा … Continue reading "रोना था इसलिए मिला मैं तुझे"
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