Vinay Prajapati

Vinay Prajapati's Takhleeq-e-Nazar

Origin of Poetry by Vinay Prajapati

  • Rated2.7/ 5
  • Updated 10 Years Ago

ख़ुशी का दौर है - तख़लीक़-ए-नज़र

Updated 11 Years Ago

ख़ुशी का दौर है - तख़लीक़-ए-नज़र
ख़ुशी का दौर है कलियाँ सभी खिलने लगी हैं, दिल चमन में रंग-बिरंगी तितलियाँ उड़ने लगी हैं, दिल khushii ka daur hai kaliyaan sabhii khilne lagii hai’n dil chaman me’n rang-birangi titliyaan uRne lagii hai’n dil मिला है चैन उसको देखकर, वो जान है मेरी उसे पाकर नयी साँसें मुझे मिलने लगी हैं, दिल milaa … Continue reading "ख़ुशी का दौर है"
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