सिनेमा विशेषकर भारतीय सिने जगत पर पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर बहुत कुछ लिखा जाता रहा है, जो सिलसिला आज भी जारी है। इसके विपरीत लम्बे समय से इस क्षेत्र में कोई समीक्षात्मक पुस्तक हमारे सामने नहीं आ पायी, जहाँ चुनिंदा चर्चित और दर्शक जुटाऊ फिल्मों पर बहुपक्षीय विचार विमर्श को मौजूदा सामाजिक परिप्रेक्ष्य में जाँचा-परखा गया हो। नयी सदी का सिनेमा : आधुनिक सिनेमाई यात्रा की मुक्कमल तस्वीर. nayi-sadi-ka-cinema-vipin-sharma-anhad-anugya-books
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