लम्बे समय तक बैंक सेवाओं से जुड़े राजा सिंह विद्यार्थी जीवन से बैंक कर्मी और अधिकारी बनने तक जीवन के उतार-चढ़ावों को महसूस कर चुके थे और अपने आसपास के वातावरण से भली-भांति परिचित भी हैं। कई घटनाओं से उन्हें इस अन्तराल में दो-चार भी होना पड़ा होगा। उनके द्वारा लिखी एक दर्जन कहानियों को राष्ट्रीय पुस्तक सदन ने ‘अवशेष प्रणय’ पुस्तक के रुप में प्रकाशित किया है।
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